जीवन में ज्ञान का महत्त्व

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जीवन में ज्ञान का महत्त्व

जीवन में ज्ञान का महत्त्व यह है ,जो व्यक्ति को अंधकार के प्रभाव से मुक्त कर ज्ञान कि तरफ अग्रसर करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति में सद्गुणों का प्रभाव दिखाई देने लगता है! ज्ञान की कोई समय, आयु, आदि पर पाबन्दी नहीं है। यह ईश्वर कि सबसे बड़ी कृपा है जो किसी विरले को सद्गुरु के आशीर्वाद से प्राप्त होती है! इतिहास में अनेक ऐसे संत महापुरुष एवं विद्वानों को जब ज्ञान प्राप्त हुआ तो उनहोंने भगवान श्री  राम कि कृपा से परमपद को प्राप्त कर लिया।  इसी कथन के अनुसार तुलसी दास जी ने कहा है की ……..।

“एसो को उदार जग माहि |

जो बिन सेवा द्रव दींन  पर मेरे राम सरिस कोऊ नाहि” ||

जीवन में ज्ञान का महत्व

तुलसी दास जी कहते है की इस संसार में ऐसा दयालु कोंन है जो बिन सेवा के ही अपने भक्त पर रीझ जाते है … तो वे केवल श्री राम ही है ।

तो आइये सर्वमिदं के माध्यम से हम ज्ञान के प्रभाव और उसकी महत्वकांक्षा को इस कथा के द्वारा समझने की कोशिश करते है ।

एक समय की बात है एक शिकारी था और वह संगीत में गहरी रूचि भी रखता था और वीणा बजाना बहुत अच्छी तरह जानता था ! उसका नित्य प्रतिदिन का काम था जंगल में  जाकर जंगली जानवर का  शिकार कर अपना भरण पोषण करना और वह जब भी शिकार पर जाता था तो अपने साथ वीणा को लेकर जाता था क्योंकि वह शिकार को वीणा की मधुर धुन सुनाता था और उसके पास आने पर उसका शिकार करता था ।

हर दिन की तरह वह  एक दिन शिकार के लिए जंगल में गया और साथ में वीणा भी ले गया ।

कुछ देर इंतजार करने के बाद उसने एक हिरन को अपनी तरफ आते देखा और उसे अपनी तरफ आते देख वह वीणा की मधुर धुन बजाने लगा । हिरन उस धुन के सम्मोहन के प्रभाव से शिकारी के नजदीक आ पहुंचा और शिकारी ने तुरंत ही उस हिरन को बड़े वेग से बाण मारा । बाण के लगने से हिरन घायल अवस्था में पहुंच गया और अपने प्राण त्यागने में ही था तभी उस हिरन ने शिकारी से कहा की हे ! शिकारी तुमने मुझे मेरी सुन्दर चमड़ी, नाभि में स्थित कस्तूरी  को प्राप्त करने के लिए मुझे बाण मारा …….! पर मुझे इस बात गम नही है की मैं मर रहा हूँ परन्तु मुझे इस बात का गम जरुर रहेगा कि यदि मेरी इस खाल का उपयोग सही जगह  नहीं हुआ तो मेरा इस प्रकार प्राण त्यागना व्यर्थ हो जायेगा।
…..! अतः हे शिकारी तुम मेरी एक अंतिम इच्छा पूरीं कर दो। वो ये की मेरी इस खाल को तुम अपने पास रखना या किसी संत को देना जो इसके ऊपर बैठ कर भगवान का निष्काम भाव से भजन करे । हिरन की ये बात सुनकर शिकारी के अन्तकरण  में  ज्ञान का प्रकाश फ़ैल गया और वह अपने धनुष को त्याग कर भगवान का भजन करने लगा …….और अपने उद्धार के पथ पर अग्रसर हो गया। 

 

जैसा की हमने कथा के प्रारंभ  में बताया है की ज्ञान पर किसी का एकाधिकार नहीं है। ज्ञान हमे संसार के सभी प्राणियों अर्थात किसी से भी प्राप्त हो सकता है चाहे फिर वो पशु ही क्यों न हो ।

कबीरा इस संसार में धनवंता नहीं कोई !

धनवंता वाको जानिए जाके राम नाम धन होई !!

  *जीवन में ज्ञान का महत्त्व निम्न बिन्दुओ से समझा जा सकता है।

1. अज्ञानता का निवारण :-  ज्ञान के जरिये ही हम अज्ञानता से दूर हो सकते हैं और जीवन की अनेक परेशानियों से बचते हैं ।

2. सुख और शांति कि प्राप्ति :-  ज्ञान और विद्या के जरिये हम सीमित संसाधनों में भी सुख और शांति का जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।

3. कर्मों से मुक्ति :-  ज्ञान रुपी प्रकाश में हमें शुभ या अशुभ कर्म बन्धनों से मुक्ति मिलती है |

4. चरित्र निर्माण में भूमिका :-  सच्चा ज्ञान मानव के चरित्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , यह जीवन को उत्कृष्ट बनाता है।

5. जीवन का सार :-  ज्ञान ही जीवन का सार है तथा  यह हमें जीवन में सत्य से रूबरू करवाता है ।

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