सर्वमिदम
सर्वमिदम् दो शब्दों सर्वम् और इदम् से मिलकर बना है, जो सनातन पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद गीता के एक श्लोक से लिया गया है, जिसका अर्थ है "सर्वव्यापी"।
सृष्टि
सृष्टि की उत्पत्ति :-
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी तुरत बढ़ायो चीर।।
हे भगवान श्री हरि.....अपने भक्तों का संकट उसी प्रकार दूर कीजिए, जिस प्रकार आपने द्रोपदी का चीर बढ़ाकर उसकी लाज रखी थी और उसके संकट को दूर किया था।
Sarvmidam is a spirit of every sanatani's.
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‘‘मन सब मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयों।
चित्ते चलेति संसारो निष्चले मोक्ष उच्चते‘‘
अर्थात मनुष्य के बन्धन और मोक्ष का कारण केवल मन ही है चित के चलाये संसार है और अचल किये मोक्ष है। दिन के समय अतिथि के लौट जाने से जितना पाप लगता है उससे आठ गुना पाप सूर्यास्त के समय अतिथि के लौटने से होता है। सूर्यास्त के समय आये हुये अतिथि का गृहस्थ पुरूष अपनी सामर्थ्यानुसार अवष्य सत्कार करें। सोने के लिये शय्या या घासफूस का बिछौना देकर उसका सत्कार करें।